हाल ही में कई राज्यों में प्राइवेट नौकरी या फैक्ट्री में काम करने के नियमों में बदलाव हुआ है. खासकर महाराष्ट्र सरकार ने काम के घंटे बढ़ा दिए हैं, जिससे मजदूर और कर्मचारी दोनों के काम करने के तरीके में बदलाव आएगा. अब निजी कंपनियों, शॉप्स और फैक्ट्रियों में 9 घंटे की जगह 10 या 12 घंटे काम करना पड़ सकता है. सरकार का कहना है कि इससे मजदूरों को ज्यादा वेतन मिलेगा और कंपनियों को निवेश व रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी.
लेकिन इस बदलाव को कई मजदूर संगठनों ने चुनौती दी है, उनका कहना है कि ये नियम कर्मचारी की सेहत और जिंदगी पर असर करेगा. इस लेख में विस्तार से जानते हैं नया नियम क्या है, किन राज्यों में पहले से लागू है, कौनसे सेक्टर में लागू होगा, व मजदूरों और कंपनियों पर इसका असर क्या पड़ेगा.
नया नियम: Private Job में 10-12 घंटे काम
महाराष्ट्र सरकार ने नया नियम पास किया है जिसमें अब शॉप, आईटी कंपनियों और फैक्ट्रियों में रोज़ाना 10 से 12 घंटे तक काम करवाया जा सकता है. फैक्ट्री में 12 घंटे की शिफ्ट, बाकी प्राइवेट सेक्टर में 10 घंटे काम होगा और बाकायदा ओवरटाइम का पेमेंट मिलेगा.
नई व्यवस्था के मुताबिक:
- शॉप्स और प्राइवेट कंपनियों में 9 के बजाय 10 घंटे काम.
- फैक्ट्रियों में 9 घंटे के बजाय 12 घंटे काम, लेकिन बीच में ब्रेक रहेंगे.
- ओवरटाइम का पैसा नियम अनुसार मिलेगा और लिखित सहमति जरूरी होगी.
- हफ्ते में 60 घंटे काम और हर क्वार्टर में 144 घंटे ओवरटाइम तक.
- कर्मचारियों को 6 घंटे लगातार काम करने की अनुमति मिलेगी, फिर 30 मिनट ब्रेक.
- नया कानून सिर्फ 20 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों पर लागू होगा.
किन राज्यों में लागू है यह नियम?
महाराष्ट्र के अलावा ये व्यवस्था कई राज्यों में पहले से ही चल रही है या लागू हो गई है:
- कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा में भी ऐसे बदलाव हो चुके हैं.
- लॉकडाउन के बाद असम, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब और राजस्थान ने भी काम के घंटे बढ़ाए थे.
नीचे टेबल में राज्यों का ओवरव्यू है:
राज्य का नाम | रोज़ाना काम के घंटे | फैक्ट्री/प्राइवेट | ओवरटाइम सीमा | सरकारी पुष्टि | लागू साल | नोट्स |
महाराष्ट्र | 10-12 घंटे | दोनों | 144/quarter | हाँ | 2025 | नया नियम |
कर्नाटक | 10-12 घंटे | दोनों | 144/quarter | हाँ | 2023-25 | लागू |
तमिलनाडु | 12 घंटे | फैक्ट्री | 144/quarter | हाँ | 2024 | लागू |
तेलंगाना | 12 घंटे | फैक्ट्री | 144/quarter | हाँ | 2024-25 | लागू |
उत्तर प्रदेश | 12 घंटे | फैक्ट्री | 144/quarter | हाँ | 2024 | लागू |
त्रिपुरा | 12 घंटे | फैक्ट्री | 144/quarter | हाँ | 2024 | लागू |
गुजरात | 12 घंटे | फैक्ट्री | 144/quarter | हाँ | 2020-21 | पब्लिक एमरजेंसी |
बिहार (अभी लागू नहीं) | 9 घंटे | प्राइवेट | 115/quarter | नहीं | NA | पुराने कानून |
कर्मचारी के लिए फायदा और नुकसान
फायदा:
- ओवरटाइम के पैसे मिलेंगे, जो बेसिक सैलेरी से दो गुना होंगे.
- दुनिया की तरह ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी, इंडस्ट्री में निवेश बढ़ेगा.
- महिलाओं के लिए ज्यादा नौकरी विकल्प, कंपनियों को आसान शिफ्ट प्लानिंग.
नुकसान:
- लंबे घंटे काम करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर, तनाव व परिवार के लिए कम समय.
- मजदूर यूनियनों का विरोध, कइयों का मानना है कि कंपनियां इसका गलत फायदा उठा सकती हैं.
- भले ही ओवरटाइम मिले, लेकिन लगातार लंबे घंटे काम करना कठिन है.
प्राइवेट सेक्टर में कब लागू होगा नया नियम?
नियम को अमल में लाने के लिए सरकार ने Maharashtra Shops and Establishments Act, 2017 और Factories Act, 1948 में संशोधन किया है.
- अभी ये नियम प्रस्तावित हैं, अमल के लिए राष्ट्रपति और विधान सभा की मंजूरी जरूरी है.
- लागू होने के बाद, 20 से ज्यादा कर्मचारियों की कंपनियों, शॉप्स, आईटी फर्म्स, होटल्स को मानना होगा.
- ओवरटाइम अनिवार्य नहीं है, कर्मचारी की लिखित सहमति जरूरी है.
नियम के मुख्य बिंदु (Bullet List)
- रोजाना काम के घंटे: फैक्ट्री 12 घंटे, प्राइवेट कंपनी 10 घंटे
- हर छह घंटे बाद 30 मिनट ब्रेक जरूरी
- ओवरटाइम पैसा: दो गुना मूल वेतन
- हफ्ते में 60 घंटे तक काम की छूट
- हर क्वार्टर में 144 घंटे तक ओवरटाइम
- कर्मचारी बिना सहमति ओवरटाइम के लिए बाध्य नहीं
- ये कानून सिर्फ बड़ी कंपनियों पर लागू होंगे
मजदूरों की राय और विरोध
बहुत सारे मजदूर संगठनों ने इन बदलावों का विरोध किया है. उनका कहना है कि:
- इससे मजदूरों को जबरन ज्यादा काम करवाया जा सकता है,
- कंपनियां ज्यादा ओवरटाइम करा सकती हैं और काम मुश्किल हो सकता है,
- परिवार, स्वास्थ्य, और सामाजिक जीवन पर असर पड़ सकता है.
निष्कर्ष और सलाह
सरकार का कहना है कि ये नियम निवेश बढ़ाने, नौकरी सृजन, और कर्मचारियों को ओवरटाइम का पैसा दिलाने की दिशा में कदम है. मगर मजदूरों की सहमति, उनकी सुरक्षा और सही ओवरटाइम भुगतान सुनिश्चित करना जरूरी है.
Disclaimer
यह नियम सरकार की आधिकारिक साइट्स एवं अधिनियम (Factories Act, Shops & Establishments Act) के सरकारी बयान पर आधारित है. अभी इसकी पूरी तरह अमल में आने से पहले कानूनी प्रक्रिया बाकी है और यूनियनों की आपत्ति भी सामने आई है. किसी भी नौकरी में नियम बताने से पहले कंपनी से साफ़ जानकारी और लिखित सहमति लेना जरूरी है. इस नीति के बारे में सोशल मीडिया या यूट्यूब पर आये वीडियो अक्सर गलत/फेक हो सकते हैं—इसलिए केवल सरकारी अधिसूचना और अपने ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट से पुष्टि करें.