GST 2.0 2025: 18% राहत या 40% महंगाई, जानिए 7 बड़े बदलाव जो हर किसी पर असर डालेंगे

Published On: September 12, 2025
GST 2.0 2025

भारत में कर व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है। इसी दिशा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बड़ा एलान किया है। 22 सितंबर से पूरे देश में GST 2.0 लागू होने जा रहा है। इसमें नई दरें तय की गई हैं और कई वस्तुओं व सेवाओं पर बड़ा बदलाव किया गया है।

सरकार का कहना है कि यह कदम आम जनता को राहत देने और अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के लिए उठाया गया है। इस नई व्यवस्था के तहत उत्पादों व सेवाओं की श्रेणियों को नए स्लैब में बांटा गया है। पहले जहां मुख्यतः 5%, 12%, 18% और 28% की दरें लागू थीं, वहीं अब 5%, 18% और एक उच्चतम वर्ग 40% का नया स्लैब तय किया गया है।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह बड़ा बदलाव है और इसका असर आने वाले दिनों में महंगाई, कारोबार और सरकारी राजस्व पर सीधा पड़ेगा। तो आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर क्या है GST 2.0 और इसमें क्या-क्या बदलाव किए गए हैं।

GST 2.0 2025

GST का पूरा नाम गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स है, जो भारत में 2017 से लागू है। इसका उद्देश्य अलग-अलग राज्यों में लगाए जाने वाले जटिल टैक्स को खत्म कर एकीकृत कर व्यवस्था लाना था। अब सरकार ने GST का नया संस्करण यानी GST 2.0 लागू करने का निर्णय लिया है।

इस व्यवस्था में टैक्स स्लैब को सरल बनाने और टैक्स चोरी पर सख्ती करने पर ध्यान दिया गया है। सरकार का इरादा है कि टैक्स व्यवस्था ज्यादा पारदर्शी और सरल बने ताकि आम उपभोक्ता को भार कम महसूस हो और व्यापारी भी आसानी से टैक्स भर सकें।

GST 2.0 न सिर्फ वस्तुओं पर बल्कि डिजिटल सेवाओं और नए सेक्टरों पर भी लागू होगा। इस बार सरकार ने उच्च दर यानी 40% का स्लैब भी शामिल किया है, ताकि महंगी लग्जरी वस्तुओं और हानिकारक उत्पादों से ज्यादा राजस्व जुटाया जा सके।

नई GST दरें और बदलाव

सरकार ने पहले से मौजूद चार मुख्य स्लैब को बदलकर अब तीन मुख्य स्लैब की घोषणा की है। ये नए स्लैब 5%, 18% और 40% होंगे।

5% स्लैब में वे उत्पाद और सेवाएं शामिल होंगी, जो आम जनता की जरूरत से जुड़ी हैं। जैसे कि कुछ खाद्य पदार्थ, दैनिक उपयोग की चीजें और मेडिकल प्रोडक्ट्स।

18% स्लैब मध्यवर्गीय उपभोक्ताओं के लिए रखा गया है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स, मोबाइल, घरेलू उपकरण और कुछ प्रोफेशनल सेवाएं जैसे कंसल्टेंसी आदि शामिल होंगी।

40% का स्लैब उन उत्पादों पर लागू होगा, जो लक्ज़री कैटेगरी या स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक समझे जाते हैं। इसमें लग्ज़री कार, महंगी घड़ियां, जहाज, क्रूज़, सिगरेट और शराब जैसी चीजें शामिल होंगी। इससे सरकार को कर से बड़ा राजस्व मिलेगा और आम जनता पर उतना भार नहीं पड़ेगा।

सरकार का उद्देश्य

GST 2.0 लागू करने के पीछे सरकार का मकसद टैक्स सिस्टम को ज्यादा विश्वसनीय और सरल बनाना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह सुधार देश की अर्थव्यवस्था को गति देगा और राज्यों को अधिक राजस्व प्राप्त होगा।

साथ ही इसका उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित करना भी है। दैनिक उपभोग वाली वस्तुओं पर कम टैक्स दर लागू कर लोगों को राहत दी जाएगी। जबकि लग्ज़री और गैर-जरूरी वस्तुओं पर ज्यादा टैक्स लगाकर सरकार कोशिश करेगी कि संतुलित राजस्व इकट्ठा हो और आम जनता पर दबाव न पड़े।

इसके अलावा सरकार ने इस बार टैक्स चोरी पर भी निगरानी बढ़ाने के लिए कई तकनीकी कदम उठाए हैं। इसमें डिजिटल पेमेंट व ई-इनवॉइसिंग सिस्टम को मजबूत करने पर जोर दिया गया है।

कारोबारियों और उद्योग पर असर

GST 2.0 का असर कारोबारियों और उद्योग जगत पर भी पड़ेगा। छोटे व्यापारी जो पहले टैक्स की जटिलताओं से परेशान थे, अब नए सिस्टम से उन्हें आसानी होगी। सरकार ने दावा किया है कि इस बार रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया और भी आसान की जाएगी।

ई-कॉमर्स कंपनियों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी समान नियम लागू होंगे ताकि हर क्षेत्र में कर संग्रह समान रूप से हो सके।

उद्योग जगत का कहना है कि 40% स्लैब से लग्ज़री व्यवसाय पर असर होगा, लेकिन इसका फायदा यह होगा कि आम वस्तुओं की कीमतों पर कम दबाव पड़ेगा।

आम जनता पर असर

नई GST दरों का सीधा असर आम जनता की जेब पर होगा। सबसे बड़ी राहत यह है कि जरूरी वस्तुओं पर 5% टैक्स स्लैब जारी रहेगा और कुछ मामलों में टैक्स घटाया भी गया है।

इस बदलाव से खाना-पीना, दवा और दैनिक जरूरत की चीजें सस्ती हो सकती हैं। वहीं इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल पर दरें 18% रखी गई हैं, जो पहले से ज्यादा या कम नहीं हैं, इसलिए इसमें अधिक परिवर्तन नहीं होगा।

लेकिन जो लोग लक्ज़री वस्तुएं खरीदते हैं, उनके लिए यह बड़ा झटका होगा क्योंकि महंगी गाड़ियों, घड़ियों या शराब जैसी चीजों पर अब 40% टैक्स देना होगा।

राज्यों और केंद्र के बीच तालमेल

GST का प्रबंधन जीएसटी परिषद करती है, जिसमें राज्यों और केंद्र के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। GST 2.0 लागू करने से पहले सभी राज्यों से राय ली गई और परिषद ने इस पर सहमति जताई। यह दर्शाता है कि यह कदम सभी की सहमति से उठाया गया है।

केंद्र सरकार को भरोसा है कि नई GST प्रणाली से राज्यों का राजस्व बढ़ेगा और उन्हें विकास कार्यों के लिए अधिक वित्तीय शक्ति मिलेगी। वहीं राज्यों को भी इस सुधार से फायदा होगा क्योंकि टैक्स संग्रह में पारदर्शिता बढ़ेगी।

निष्कर्ष

GST 2.0 भारत की टैक्स प्रणाली के बड़े सुधारों में से एक है। यह न सिर्फ सरकार के लिए राजस्व बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि आम जनता को राहत पहुंचाने और अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का भी साधन है।

सरकार का दावा है कि नई दरों के साथ टैक्स सिस्टम आसान और पारदर्शी होगा। अब देखना यह होगा कि 22 सितंबर से लागू होने वाले इन बदलावों का असर लोगों और बाजारों पर किस तरह पड़ता है।

Leave a comment