Delhi Varanasi Bullet Train 2025: सिर्फ 2.5 घंटे में सफर, 1.20 लाख करोड़ की सबसे बड़ी योजना

Published On: September 8, 2025
Delhi Varanasi Bullet Train 2025

दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जनता के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आने वाली है। इस परियोजना से न केवल दिल्ली और वाराणसी के बीच यात्रा का समय लगभग 8-10 घंटे से घटाकर 4 से 4.5 घंटे कर दिया जाएगा, बल्कि यात्रियों को अत्याधुनिक और तेज़ यात्रा का अनुभव भी मिलेगा। यह हाई स्पीड रेल कॉरिडोर करीब 865 किलोमीटर लंबा होगा, जो दिल्ली से शुरू होकर मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही होते हुए वाराणसी तक जाएगा। इस मार्ग में लगभग 12 प्रमुख स्टेशन होंगे।

सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) द्वारा संचालित है, जो अत्याधुनिक मैपिंग तकनीक जैसे कि लेडार तकनीक का इस्तेमाल करके रुचिकर, पारदर्शी और सटीक सर्वेक्षण कर रही है। इस परियोजना से न केवल यात्रा के समय की बचत होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के 60 गांव इस हाई स्पीड रेल कॉरिडोर से होकर गुजरेंगे, जिनकी जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

Delhi Varanasi Bullet Train 2025

दिल्ली से वाराणसी तक बनने वाली इस बुलेट ट्रेन परियोजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह मार्ग उत्तर प्रदेश के करीब 60 गांवों से गुजरेगा, विशेष रूप से रायबरेली जिले के महाराजगंज, सदर, ऊंचाहार और सलोन तहसीलों के गांवों से। इन गांवों की जमीन की पहचान कर ली गई है और अब सर्वेक्षण और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इस काम के लिए लेडार तकनीक का उपयोग किया जा रहा है जिससे जमीन की ऊंचाई, नीचाई, भूसंरचना और वनस्पति का सटीक डाटा प्राप्त किया जा सके।

यह हाई स्पीड रेल कॉरिडोर लगभग 865 किलोमीटर का होगा, जो दिल्ली से शुरू होकर क्रमशः नोएडा, ज्वार एयरपोर्ट, मथुरा, आगरा, इटावा, कन्नौज, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, भदोही होते हुए वाराणसी पहुंचेगा। इस ट्रेन की रफ्तार 350 किलोमीटर प्रति घंटे तक होने की संभावना है, जिससे वर्तमान 8 से 10 घंटे का सफर 4 से 4.5 घंटे में पूरा हो जाएगा। रेलवे के लिए विशेष ट्रैक बनाए जाएंगे और अलग स्टेशन भी विकसित किए जाएंगे ताकि यात्रियों को सुविधा मिल सके।

परियोजना का महत्व और सरकार की भूमिका

यह दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन योजना भारत सरकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के बड़े प्रोजेक्टों में से एक है। इसे राष्ट्रीय उच्च गति रेल निगम लिमिटेड (NHSRCL) द्वारा संचालित किया जा रहा है, जो देश में हाई स्पीड रेल परियोजनाओं को गति प्रदान करता है। सरकार ने इस परियोजना के लिए लगभग 1.20 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित बजट रखा है।

परियोजना के तहत यात्रियों को तेज़ और आरामदायक सफर के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। भूमि अधिग्रहण के लिए सरकार पूरा समर्थन दे रही है ताकि प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा मिल सके। इस योजना में तकनीकी उन्नयन, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक प्रभावों का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। लेडार सर्वे के माध्यम से भूमि संबंधी सभी पहलुओं की गहराई से जांच की जा रही है, जिससे काम में पारदर्शिता और तीव्रता बनी रहती है।

भूमि अधिग्रहण का विस्तार

जैसे-जैसे बुलेट ट्रेन की पटरी बिछाने का काम आगे बढ़ रहा है, जमीन अधिग्रहण का सवाल भी आर्थिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है। रायबरेली जिले के 60 गांवों में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इन गांवों की सूची और उनकी जमीन का मुआयना पूरा किया जा रहा है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भूमि मालिकों को उपयुक्त मुआवजा मिल सके। परियोजना में भूमि के अधिग्रहण के बाद ट्रैक का निर्माण और अन्य जरूरी ढांचागत काम तुरंत शुरु हो जाएंगे।

सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए भी योजनाओं की व्यवस्था की है, जैसे कि पुनर्वास, आर्थिक सहायता और रोजगार प्रदान करना ताकि उनका जीवन स्तर प्रभावित न हो। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से चल रही है, जिससे विवाद और तनाव की संभावना कम हो।

यात्रा का समय घटाना और आर्थिक प्रभाव

दिल्ली से वाराणसी की दूरी अब करीब 4 से 4.5 घंटे में पूरी होगी, जबकि वर्तमान में यह सफर सड़क या सामान्य ट्रेनों से 8 से 10 घंटे का होता है। इससे न केवल यात्रियों को समय की बचत होगी बल्कि व्यापार भी बढ़ेगा। यह हाई स्पीड रेल परियोजना उत्तर भारत के विकास को नई दिशा देगा।

आर्थिक दृष्टिकोण से यह परियोजना उत्तर प्रदेश सहित आसपास के राज्यों में निवेश को आकर्षित करेगी। इससे पर्यटन स्थलों की सुलभता बढ़ेगी और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। साथ ही छोटे उद्योगों और सेवा क्षेत्र को भी लाभ मिलेगा क्योंकि तेज़ यातायात से लोग और माल जल्दी पहुंच पाएंगे।

परियोजना की वर्तमान स्थिति और आगे का रास्ता

नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन के लिए डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करना शुरू कर दिया है। लेडार तकनीक द्वारा भूमि सर्वेक्षण हो चुका है और 2025 तक भूमि अधिग्रहण का काम पूरा करने की योजना है। इसके बाद 2029 तक परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

परियोजना में दो मुख्य फेज़ होंगे जिसमें पहले फेज़ में लंबी दूरी वाली पटरी बिछाई जाएगी और दूसरे फेज़ में स्टेशनों व अन्य सहायक सुविधाओं का निर्माण होगा। ट्रेन के संचालन के लिए अनेक प्रकार की तकनीकी तैयारियां भी हो रही हैं ताकि यात्रियों को एक सुरक्षित और समय पर सेवा मिल सके।

निष्कर्ष

दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना उत्तर प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण और भविष्य के लिए बेहतर कदम है। यह न सिर्फ यात्रा के समय को कम करेगी बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास में भी मददगार साबित होगी। 60 से अधिक गांवों से होकर गुज़रते हुए यह परियोजना वहां के लोगों के लिए नए अवसर और बेहतर जीवन की उम्मीद लेकर आ रही है। पूरा प्रोजेक्ट समय पर और पारदर्शी तरीके से पूरा होगा, ऐसे उम्मीदें जताई जा रही हैं।

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