देश के किसानों के लिए सरकार ने एक खुशखबरी दी है जिसमें डीएपी (डाया-अमोनियम फॉस्फेट) और यूरिया खाद अब सब्सिडी के साथ उनकी पहुंच में आसान हो गया है। खाद की दुनिया में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है क्योंकि कृषि उत्पादन और फसलों की गुणवत्ता के लिए यूरिया और डीएपी की भौतिक जरूरत बहुत ज्यादा होती है।
पिछले कुछ समय से खाद की बढ़ती कीमतों ने किसानों की चिंता बढ़ा दी थी, लेकिन अब सरकार ने इस पर विशेष ध्यान देते हुए नए साल में अतिरिक्त सब्सिडी पैकेज का ऐलान किया है। इससे किसानों को सस्ती कीमत पर खाद उपलब्ध होगी और उनकी लागत कम होने से लाभ मिलेगा।
सरकार ने वैश्विक बाजार की अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव के कारण खाद के दामों में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए 2025 के लिए 3850 करोड़ रुपये तक का एकमुश्त विशेष सब्सिडी पैकेज मंजूर किया है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि डीएपी और यूरिया खाद की कीमतें किसानों के लिए ज्यादा बढ़ें नहीं और खाद बाजार में उपलब्धता बनी रहे।
हालांकि डीएपी खाद की 50 किलो बोरी की कीमत अभी ₹1350 है, लेकिन सरकार की इस नई योजना से किसानों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ कम होगा। कृषि मंत्रालय और संबंधित विभाग लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं ताकि हर जरूरतमंद किसान को खाद उचित दामों पर मिल सके।
DAP Urea New Rate 2025
डीएपी और यूरिया दोनों ही फसलों की उर्वरक जरूरतों को पूरा करने में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। डीएपी में नाइट्रोजन की तुलना में फास्फोरस और पेटाशियम अधिक मात्रा में होते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। वहीं यूरिया मुख्य रूप से नाइट्रोजन की आपूर्ति करता है। सरकार ने डीएपी और यूरिया दोनों के दामों में राहत और सब्सिडी प्रदान करके किसानों को सीधे फायदा पहुंचाने का निर्णय लिया है।
सरकार की योजना के तहत किसान अब खाद भंडार से डीएपी और यूरिया खरीदने के लिए आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा। इससे खाद वितरण में पारदर्शिता बढ़ेगी और खाद की कालाबाजारी कम होगी। सब्सिडी के बाद किसानों को खाद की कीमतें काबू में रहेंगी जिससे कृषि लागत घटेगी और उत्पादन बढ़ सकेगा।
इसके अलावा केंद्र सरकार जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए भी काम कर रही है। जैविक खाद को बढ़ावा देकर रासायनिक उर्वरकों का प्रति किसान उपयोग धीरे-धीरे कम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री प्रणाम योजना जैसे कई कार्यक्रम के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है। नए डाटा अनुसार, किसानों को नॉन-रासायनिक खाद विकल्पों की ओर भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे वे अपने खेतों में यूरिया-डीएपी का इस्तेमाल नियंत्रित रूप से कर सकें।
सरकार ने यूरिया खाद के लिए भी मूल्य निर्धारण नीति लागू की है, जिसमें सरकारी फिक्स्ड एमआरपी रहता है। उदाहरण के तौर पर, 50 किलो बोरी यूरिया की कीमत लगभग ₹268 निर्धारित की गई है, जो किसानों को सब्सिडी के बाद मिलती है। डीएपी की वर्तमान 50 किलोग्राम बोरी की कीमत ₹1350 प्रतिखरीदी है, लेकिन सब्सिडी के कारण किसानों तक यह कीमत कम होकर सहज होती है।
योजना का उद्देश्य और लाभ
सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता लगातार सुनिश्चित करना और उनकी लागत में कमी करना है। खाद की खरीद अब उनके लिए आसान होगी, साथ ही खाद की कालाबाजारी पर भी नियंत्रण रखा जाएगा। सब्सिडी के साथ यूरिया और डीएपी खाद किसानों को उनकी खरीफ और रबी दोनों फसलों के लिए आवश्यक मात्रा में कम कीमत पर उपलब्ध होगी।
इसके अतिरिक्त, खाद वितरण में आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है ताकि वितरण में पारदर्शिता आए और हर किसान अपनी जरूरत के अनुसार ही खाद ले सके। यह तरीका सरकार को खाद वितरण प्रणाली को और मजबूत करने में मदद करेगा और किसानों को फर्जीवाड़े से बचाएगा।
सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी सीधे खाद निर्माता और विक्रेता को प्राप्त करती है, जिससे किसान को लाभकारी मूल्य पर खाद मिलता है। इसके कारण वे अपनी खेती की लागत में बचत कर पाते हैं और सफल फसल उगाने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा सब्सिडी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इसका लाभ उठा सकें।
डीएपी यूरिया खरीदने का तरीका और आवेदन प्रक्रिया
- किसानों को डीएपी और यूरिया खरीदने के लिए अपने क्षेत्र के सरकारी या मान्यता प्राप्त खाद भंडार पर जाना होगा।
- खरीद के समय किसानों को आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि खाद संबंधित व्यक्ति को ही मिल रही है।
- सब्सिडी मूल्य पर खाद उपलब्ध होने की वजह से किसान को बाजार मूल्य के मुकाबले कम कीमत चुकानी होगी।
- सरकार की योजना के तहत अन्य जरूरी दस्तावेज और फार्म भरे जा सकते हैं, जो स्थानीय कृषि विभाग या खाद विक्रेता से प्राप्त किए जा सकते हैं।
- योजना के अंतर्गत खरीदारी के लिए कोई ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करने की जरूरत नहीं है, लेकिन आधार लिंकिंग अनिवार्य है।
निष्कर्ष
सरकार की यह डीएपी यूरिया नई दर योजना किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण और लाभकारी साबित होगी। सब्सिडी के जरिए खाद की कीमतों में स्थिरता और सस्ती दरें सुनिश्चित हो रही हैं। इसके साथ ही खाद वितरण में पारदर्शिता और व्यवस्था में सुधार से किसानों का भरोसा भी बढ़ेगा। इस योजना का लक्ष्य देश के किसानों को बेहतर और किफायती उर्वरक उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी कृषि उत्पादकता और आय में बढ़ोतरी हो सके।